Monday 20 August 2012

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आज यह कहानी मैं अपनी सहेली मल्लिका के बारे लिख रही हूँ। जब यह घटना हुई तब तक मुझे पता नहीं था कि मल्लिका को सेक्स इतना पसंद है कि वो किसी के भी साथ सेक्स कर सकती है और फ़ोन पर उसे गर्मागर्म बातें करने में तो उसे इतना मज़ा आता है कि पूछो ही मत !
फ़ोन पर बात करते करते वो किसी भी पुरूष और साथ ही किसी भी लड़की या महिला को चरमोत्कर्ष तक पहुँचा सकती है।
मैं आपको बताती हूँ कि मुझे मल्लिका की इतनी अधिक अन्तर्वासना का पता कैसे चला।
मेरी उम्र 33 वर्ष है, मैं शादीशुदा हूँ।
मुझे एक बार काम से दिल्ली से लखनऊ जाना था पर मुझे टिकट नहीं मिल पाया। मैं बहुत परेशान थी। मैंने अपनी सहेली मल्लिका को बताया तो वो बोली कि उसके पति को भी लखनऊ जाना है और वो कार से जा रहे हैं। तू चाहे तो उनके साथ चली जा !
मैंने अपने पति से पूछा तो वो भी तैयार हो गए कि सुनील तुम्हारी सहेली के पति हैं कोई गैर थोड़े ही है, तुम चली जाओ।
मैं और सुनील कार से निकल गए। सुनील शरीफ इंसान थे, रास्ते में हम लोग बातें करते हुए जा रहे थे पर सुनील ने मुझे कभी भी छूने की कोशिश नहीं की, बातचीत का दायरा भी सभ्य था।
लंच करने के बाद कार ने परेशान करना शुरू कर दिया और शाम को करीब 5 बजे जब हम बरेली पहुँचे तो कार एकदम बंद हो गई। मकैनिक को दिखाया तो उसने ठीक करने में 4 घंटे का समय लगा दिया।
सुनील ने कहा- अब रात के दस बजे चलना ठीक नहीं होगा ! अगर तुम कहो तो आज रात होटल में रुक कर सुबह होते ही निकल पड़ेंगे?
सुनील शरीफ थे, परिस्थितियों को देखते हुए मैं सुनील की बात मान गई। हम लोगों ने एक होटल में कमरा लिया। होटल वाले को हमने अपना परिचय पति-पत्नी का दिया, नहीं तो वो होटल नहीं मिलता।
मैं बहुत थक गई थी, कमरे में जाकर तुरंत नहाने चली गई और नाइटी पहन कर बिस्तर पर आराम करने लगी।
सुनील ने मुझसे पूछ कर ड्रिंक्स मंगवा लिए। वो थका हुआ था। मुझे नींद सी आ गई। सपने में मैंने देखा कि कोई मेरे बदन को सहला रहा है।
मुझे अच्छा लग रहा था। सपने में सब चलेगा, सोच कर मैं मजे लेने लगी। धीरे-धीरे उसके हाथ मेरे कमर पर और फिर मेरी चूचियों पर आ गए।वो अब मेरे चुचूक सहला रहा था। मैं अब गर्म होने लगी थी। उसने मेरे चुचूक अपने मुँह में लेकर खूब चूसे। उसके हाथ मेरे पूरे शरीर पर घूम थे। मेरी चूत पर उसके उँगलियाँ पहुँच गई थी। मेरी चूत रस छोड़ रही थी। सपना बहुत मजेदार चल रहा था।
उसने मेरी टाँगें खोली, फिर उसने अपना तना हुआ लण्ड धीरे-धीरे मेरी चूत में घुसाना शुरू किया। जब लंड आधा घुस गया तो मेरी नींद खुल गई।मैंने पाया कि सुनील मेरे ऊपर चढ़ा हुआ है, हम दोनों नंगे हैं और उसका लण्ड मेरी चूत में आधा घुसा हुआ है।
यह सब मेरी ना-जानकारी में हो रहा था मेरी मर्जी से नहीं !
उसने मेरी गहरी नींद का फायदा उठा लिया था। मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि करूँ तो क्या करूँ?
चिल्लाऊंगी तो होटल वाला पूछेगा कि रजिस्टर में तो पति-पत्नी लिखवाया था और लंड आधा घुस ही गया था। सोचते सोचते पूरा लण्ड अंदर घुस गया।
मैंने सोचा कि अब कुछ फायदा नहीं, जो होना था सो हो गया। अब चुपचाप मजे ले लो ! बाद में बात करेंगे।
तो मैं चुपचाप पड़ी रही और सुनील को लंड चूत में डालने दिया। मैं थोड़ा आराम से लेट गई जिससे उसे चोदने में आसानी रहे।
उसका लंड कड़क था, वो खूब धक्के दे दे कर चोद रहा था। उसने मेरे दूधों को खूब मसला।
सच ! मुझे मेरे पति से ज्यादा मजा आ रहा था। बस इस बात का अफ़सोस था कि सब मेरी मर्जी के खिलाफ हो रहा था। और बात यह भी नहीं थी सुनील मेरे साथ बलात्कार कर रहा था।
पर आप सब समझ सकते हैं कि पर-पुरुष से मजा अलग ही आता है।
तो मैं इस चुदाई का मज़ा लेने लगी। बीस मिनट चोदने के बाद उसने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाला और तभी मैंने नींद खुलने का नाटक किया- तुमने यह क्या किया? मुझे नंगा कर दिया? तुमने मेरे साथ बलात्कार किया है !
सुनील मेरे सामने हाथ जोड़ने लगा, बोला- मुझसे गलती हो गई है, किसी को बताना नहीं !
हम लोगों ने कपड़े पहन लिए।
मैंने कहा- तुमने मेरे विश्वास को तोड़ा है !
वह बोला- शराब के नशे में तुम्हारा गोरा चिकना बदन देखकर मैं अपनेआप को रोक नहीं पाया।
मैंने रोते हुए उसकी बीवी मल्लिका को फ़ोन लगाया, उसे सारा किस्सा बताया।
वो अपने पति से बहुत-बहुत नाराज़ हुई और सुनील को तलाक देने की बात कहने लगी, वो बोली- सुनील को पश्चाताप करना पड़ेगा !
यह कह कर उसने फ़ोन पटक दिया।
थोड़ी देर में मेरे पति कुणाल का फ़ोन आया, उसने कहा- उसे अभी अभी मल्लिका ने बुलाया है।
मैं चुप रही, पता नहीं सब जान कर उस पर क्या बीतेगी?
बाद में मुझे पता चला कि बदला उतारने के लिए उस रात मल्लिका ने मेरे पति से चुदवा लिया था।
और उसके बाद तो वो अक्सर मेरे सामने ही मेरे पति से चुदने आ जाती है। मुझे भी बहुत आनन्द आता है उन्हें चुदाई करते देख कर !
क्या आप भी लेना चाहते हैं मेरी सहेली मल्लिका से मज़े ?

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