Tuesday 4 September 2012

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चांदनी कि मनोहारिणी छठा ब्रह्नापुत्र के शीतल जल पर बिखर गयी, हवाओं मे मधुर संगीत गूंजने लग, भौरों के सरस शोर से ' काम ' राग का अलाप सुनाई देने लगा, दो आग मे तपते शरीर की गर्मी से हिमाला की बर्फ पिघलने लगी और टोमी का हाथ धीरे धीरे पूसी के टॉप को उसके उभारों से ऊपर उठाने लगा, ब्रा से झांकते 'ब्लोसोम' किसी महकते खिले हुए फूल कि भांति चहक उठे और अगले ही पल टोमी कि हथेलिओं मे किलकारिया मारने लगे, टोमी उनकी चुस्नियो को दबाता रहा, मसलता रहा और पूसी अपनी हथेलिओं को पीछे से उसकी हाफ पैंट के अन्दर लेजाकर उसके नितम्बो कि गोलाइओ को सहलाती रही, थपथपाती रही, अपनी तर्ज़नी उंगली से उसकी चीढ़ को चीरती रही. टोमी उसकी चाशनी से भरी चुचीओं का रस पीने लगा और पूसी अपने दाँतों से उसकी चौडी छाती पर उग आये बालों के बीच उसकी चुचीओं को काटने कुतरने लगी...........टोमी अभी भी अतीत की यादों मे खोया हुआ था. पूसी का खूबसूरत बदन अभी भी उसकी यादो मे ज्यों का त्यों अग्नि मे दहक रहा था और यादों के इस दलदल मे टोमी फिर डूब गया.............

कितनी हसरत से वो पुसी को देख रहा था, मानो किसी वनमानव ने किसी नंगी अप्सरा को धरती पर देख लिया हो. टोमी का हाथ फिसलता हुआ पूसी कि जींस को खोलने लगा और पैंटी के अन्दर से उसके नर्म मुलायम बालों से खेलने लगा, कभी वो कभी पूसी की चिकनी चूत की उभरी हुई दीवारों पर हाथ फेरता तो कभी चूत की रसीली पंखुरिओं को दो उँगलियों से मसलता. पूसी का भी बुरा हाल था, उसकी भुर चिपचिपाने लगी थी, उसने टोमी कि गांड को जोर से अन्दर कि ओर दबाया और दुसरे हाथ से उसकी हाफ पैंट के अन्दर फुदक रहे लंड को. पुसी अपना मुह धीरे धीरे उसके लंड पर ले गई और जांघो के बगल को चाट चाट कर चिकना कर दिया. लंड के सुपारे को अंगूठे से मसलने लगी और लटक रही गोलिओं को हथेलिओं से. पर मन पानी के एक ग्लास से कहाँ भरता जब सामने पीने को पूरा समुन्दर पड़ा हो. पूसी ने अपने होठों को टोमी के लंड से लगा दिया. टोमी का लंड बड़ा और बड़ा होता गया और फडफडा के पूसी के मुह के अन्दर तक घुस गया. हलके हलके पूसी टोमी के लंड को चूसती रही और अपने खूबसूरत हाथों से उसकी मुठ मारती रही. टोमी का बुरा हाल था, उसका लंड तो पानी पानी हुआ जा रहा था, उसने धीरे से अपने लंड से पूसी से अलग किया और झुक कर उसको चूत की चिकनी दरारों को अपनी जीभ से चाटने लगा. जैसे उस मखमली चूत को वो चाट चाट कर ही खा जाना चाहता हो. अपनी तर्जनी उंगली टोमी ने चूत के बीच मे फंसा दी और चूत को गांड से मिलाने की कोशिस करने लगा. पूसी कि चूत खुलने लगी और गांड आगे पीछे सरकने लगी. अन्दर ही अन्दर वो पानी - पानी हुई जा रही थी फिर भी उसने न तो टोमी को हटाया ही न ही अपनी चूत को. वो तो इस पल को जी भर के जी लेना चाहती थी.

दोनों की आँखों से आग बरस रही थी और बदन कामाग्नि मे झुलस रहे थे, कोई किसी के सात आठ इंच लम्बे मूसल को अपने दातों से कुतर रहा था तो कोइ किसी की रेशमी बालों मे छुपी अनमोल वाटिका मे खिले पुष्प की पन्खरिओं का रसपान कर रहा था. चूतरो के सहारे वो दोनों कभी तो अपने को सम्भालते और कभी एक दुसरे कि बेलगाम जवानी को. कभी कोई किसी की जन्घो को चाट चाट कर लाल कर देता तो कोई योनी के धारधार कटाव मे छुपी नन्ही सी गोली को. टोमी ने अन्ततः पूसी को निर्वस्त्र कर दिया और पूसी का सूरज की किरनो सा चमचमाता बदन कमरे की हलकी रोशनी मे किसी सजी हुई वाटिका मे पुष्प की भाँती खिल उठा. उसके बदन की मोहक सुगंध कमरे की फिजा मे घुल मिल गई और तैरती हवाओं मे संगीत की मधुर धुन पर टोमी का लिंग अनायास ही हवा मे नृत्य करने लगा. उसने अपने बदन से टी शर्ट उतार फेंकी और पूसी के कामुक बदन से जा लिप्टा. आग के अंगारों से हिमकिरनो की शीतलता भंग हो गई. इतराता हुआ शिशन् योनी द्वार पर किसी प्रहरी की तरह जा खडा हुआ. दोनो के जघन के बाल गुथाम्गुथ्था हो गए और होंठ दूध मे पानी की तरह घुल मिल गए.

आखिर कब तक बल खाती गदराए यौवन की मादक खुश्बू से टोमी स्वयं को रोक पाता, बहती नदी के दो मदमस्त किनारों की रेत पर आखिर कब तक वो अपने चप्पू को संभाल कर रख पाता, उन्हे तो फिसल कर नदी की धारा को काट कर आगे बड़ना हि था सो वो नदी के जलप्रवाह मे उतर ही गए और उफंती जल तरंगो का शोर पूसी की एक हलकी सी चीख मे दब कर आसाम की वदिओं मे खो गया. दोनो एक दुसरे मे ऐसे विलीन हो गए जैसे नदी का जल सागर मे और झरने का पानी नदी मे. चप......प्प्प्प्प चप...प्प्प्प्प पच....पच ....पिच पच....... का शोर हवा मे तैरते संगीत की धुनो को निगल गया. और फिर ..... फिर धधकती अग्नि को हिमाला की ठण्डी बरफ ने अपने आगोश मे ले लिया कुछ हे देर पहले मिले दो अजनबी एक दुसरे की आगोश मे शिथिल पड गए.

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