Wednesday 12 September 2012

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हाँ तो दोस्तो, वो आँख मारती हुई चली गई।

दूसरे दिन उसके मम्मी पापा आ गए और अब हम लोगों को लगने लगा कि अब शायद ही हम कुछ कर पाएँ !

लेकिन अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान !शाम को वो लोग अपने दूसरे रिश्तेदार के यहाँ चले गए। मेरी बीवी भी उन्ही के साथ चली गई थी। अब मेरे घर में मैं, मेरे दादा जी और मेरी साली साहिबा ही रह गए। शाम के सात बज रहे थे, सर्दी का मौसम था, अचानक बादल गरजने लगे।

साली ने खाना बना लिया था। हमारे यहाँ ऐसे मौसम में बिजली की बड़ी कटौती होती है तो दादा जी बोले- खाना जल्दी खा लो ! बिजली चली जाएगी !

और हम सबने खाना खाया ही था कि बिजली चली गई।

तो दादाजी बोले- मैं जा रहा हूँ सोने के लिए ! तुम लोग भी आराम करो ! बहू तो सुबह ही आ पायेगी !

और दादाजी चले गए सोने।

अब मैं और मेरी साली ही अकेले थे, साली बोली- जीजू ! आज तो अल्लाह मेहरबान है !

बस फिर क्या था, मैं उसे उठाकर बिस्तर पर ले गया और उसे चूमने लगा तो बोली- जीजू, एक बात कहूँ ?

मैंने कहा- जरूर कहो !

तो बोली- मुझे तुम्हारा पप्पू खिलाना है !

मैंने कहा- जरूर !

फिर उसने मेरे पायजामे का नाड़ा खुद ही खोला और मेरे लण्ड को बेतहाशा चूसने लगी।

अब मुझे लगने लगा कि ज्यादा देर की तो मुँह में ही निकल जायेगा। मैंने कहा- जान जल्दी बाहर निकालो, नहीं तो मेरा निकल जाएगा !

तो लौड़ा अपने होंठों से निकालकर बोली- अब तुम कुछ मत बोलना ! मुझे जो करना है, करने दो !

अब तो मेरे वश में कुछ नहीं रहा और आ आह आह चू चूसो आह ! और इसी के साथ मेरे लण्ड ने अमृत की कई पिचकारियाँ छोड़ दी। अब हम लोगों को ठण्ड लगने लगी तो रजाई औढ़ कर लेट गए। वो बोली- जानू ! कीड़ा मर गया क्या ?

मैंने कहा- साली ! मुझे उकसा रही है ?

मैं उसका एक उरोज मुँह में लेकर बेदर्दी से चूसने लगा तो बोली- साले, लुगाई समझ लिया है क्या ? जैसे चाहेगा वैसे करेगा। नीचे आ मादरचोद ! चूत चाट ! लुगाई की तो रोज चाटता है ?

मैंने कहा- तुझे कैसे मालूम ?

बोली- बहनचोद ! कभी कभी तो दरवाज़ा भी नहीं लगाते हो और चुदाई चालू कर देते हो ?

तो मैंने कहा- तुझसे क्या छुपाना ! चल अब मुद्दे की बात पर आ जा !

और मैंने उसकी चूत की खुजली अपनी जीभ से मिटाना शुरू कर दी।

अब वो भी कमर उठा कर चूत चुसवाने लगी। चूत चूसते-चूसते मेरे मन में एक विचार आया कि क्यों न चुदाई के साथ बियर का मज़ा लिया जाये !

तो बस क्या था- बियर की बोतल को फ्रिज में से निकाल कर दो गिलास भरे। एक उसे दिया और एक मैंने लिया और चूत पर डाल डाल कर चाटने लगा।

उसको जाने क्या सूझा- वो रोटी बेलने का बेलन ले आई और मुझसे जिद करने लगी कि अगर तुम मुझसे इस बेलन से गाण्ड मरवाओगे तो मैं आज रात भर तुम्हें अपनी गाण्ड से खेलने दूँगी।

मैं तो पहले से ही सोच रहा था कि कोई मेरी गाण्ड जम के मारे !

आज तो तुझसे ही चुदुंगा मेरी रानी !और वो बेलन को मेरी गाण्ड के छेद पर घुमाने लगी। मैंने उसे बताया- मेरी रानी ! ऐसे नहीं ! जरा वेसलीन ले कर आओ !

और उसने वेसलीन लाकर मेरी गाण्ड पर लगा दी फिर उसने बेलन को धीरे धीरे मेरी गाण्ड में पेलना शुरू किया सच में यारों बड़ा मज़ा आया पिलवाने में !

अब तो मैं रोज़ अपनी बीवी से अपनी गाण्ड मरवाता हूँ।

और अपनी गाण्ड चुदाई करवाने के बाद मैंने उसकी गाण्ड की तरफ रुख किया।

साली की गाण्ड थी कि एक कील का सुराख़ था ?

बिल्कुल पतला !

सबसे पहले मैंने उसमें थोड़ा घी लगाया, उसके बाद उसमें धीरे धीरे अपनी उंगली डालनी शुरू की।

वो थोड़ी कुनमुनाई और फिर कहने लगी- ऐसे नहीं !तो मैंने कहा- फिर कैसे ?

तो वो बोली- तुम नीचे लेटो ! मैं ऊपर आती हूँ 69 की अवस्था में !

फिर वो 69 की दशा में आ गई और मेरे लण्ड को गपागप चूसने लगी।

मुझसे तो रोकते नहीं बना और एक दो तीन न जाने कितनी पिचकारी मैंने उसके मुँह में छोड़ दी और उसने उफ़ तक नहीं किया, बोली- मेरे राजा, कभी दीदी ने तुम्हारा इस तरह जूस निकाला है?

मैं तो उसकी गाण्ड ताकता रह गया।

उसने एक सच्ची बात मुझसे पूछी थी। मैंने कहा- जानू, अभी मैं उन खुशकिस्मत लोगों में हूँ जिन्हें बीवी और साली दोनों का सच्चा प्यार मिलता है !

और उसके बाद तो मैं उसकी गाण्ड पर टूट पड़ा और लंड को दो ही झटकों में उसकी गाण्ड के छल्ले के पार कर दिया।

उसने भी हौंसला दिखाते हुए मुँह बंद रखा और नीचे से गाण्ड उठाने लगी। लौड़ा पहले ही दो बार झड़ चुक था। अब तो बस एक ही काम था- धक्के पे धक्का मारना !

लगभग 15 मिनट बाद मेरा लावा फूट पड़ा और उसकी गाण्ड मेरे पानी से भर गई।

फिर हम दोनों टब में गर्म गर्म पानी भर कर एक साथ नहाए और सो गए !

सुबह क्या हुआ ?

वो बाद में !

अभी तो बस इतना अर्ज़ किया है-

कलम को भिगो कर प्यार की चंद बूंदों से

सारी रात की कहानी बयां कर दी

महसूस करना गर दोस्त

सेज की उस चादर जाकर पूछो

sahu.7493@gmail.com



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