Wednesday 12 September 2012

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यह बात उस समय की है जब मैं भिलाई में रह कर आईटीआई की ट्रेनिंग कर रहा था। मेरे आईटीआई का एक मित्र हमेशा अपने घर ले जाता और उसके घर वाले भी बहुत अच्छे से पेश आते थे। घर से दूर रहने के कारण परिवार के माहौल में बहुत अच्छा लगता था। मेरे दोस्त का एक भाई था, उसके पापा अच्छी नौकरी में थे। उनकी मम्मी भी बहुत अच्छी थी, जब भी घर जाता तो नाश्ता चाय के बगैर आने ही नहीं देती थी। मलयाली परिवार से होने के कारण खाने में ढेर सी अच्छी चीजें मिलती थी। टीवी देखने के नाम पर ही मेरा वहाँ जाना ज्यादा होता था क्योंकि उस समय मुझे फिल्मों का बहुत शौक था।

एक बार मेरे दोस्त के भाई की नौकरी के लिए उनके पापा और भाई को चार दिनों के लिए पूना जाना पड़ा। दोस्त ने मुझे तब तक के लिए अपने घर पर ही सोने के लिए कहा।

उस रात का खाना भी दोस्त के ही घर पर हमने खाया। दस बजे दोस्त सोने अपने बेडरूम में चले गया, मैं टीवी देखने के नाम पर ड्राइंग रूम में ही सोने के लिए रूक गया। रात के साढ़े ग्यारह बजे चैनल बदलते समय अचानक ही टीवी में ब्लू फिल्म आने लगी। मैं बहुत ही खुश हो गया क्योंकि मुझे ब्लू फिल्म देखने में बहुत ही मजा आता है। दस मिनट बाद ही मेरा लण्ड सनसनाने लगा। एक आदमी एक औरत की चूत को चाट रहा था और साथ ही में उसकी गाण्ड के छेद में अपनी एक उंगली डाल आगे पीछे कर रहा था। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैने चड्डी उतार दी और लंड को पकड़ के सहलाने लगा। थोड़ी ही देर में सारा माल मेज़ के ऊपर ही गिर गया।

मैं बाथरूम में गया और लंड साफ कर लिया। तभी मेरी नजर दोस्त की मम्मी की ब्रा और पैन्टी पर पड़ी। मुझे फिल्म का सीन याद आ गया मैंने पहले कभी दोस्त की मम्मी के बारे में ऐसा गन्दा ख्याल नहीं किया था। ब्रा और पैन्टी को छूते ही मेरा लंड फिर से तैयार होने लगा। ब्रा को सहलाते हुए आंटी को याद कर मैं मुठ मारने लगा। जोश में आंटी की सेक्सी तस्वीर मन में आने लगी। मलयाली आंटी की मोटी गांड और मस्त बड़े बड़े दूध को याद करके मैं जोर जोर से मुठ मार ही रहा था कि आहट सी हुई पर जोश की अधिकता में मेरा माल आने ही वाला था और मैं अपने को रोक नहीं पाया और सारा माल आंटी की पैन्टी में ही निकल गया। तभी बाहर से बाथरूम का दरवाजा खुल गया आंटी शायद बाहर खड़ी थी अचानक ही वो अन्दर आ गई। मैं हड़बड़ा गया।

आंटी मेरा हाथ पकड़ कर बोली- यह क्या कर रहा था?

मेरी आवाज़ ही नहीं निकल पा रही थी, मैं नज़रें नीचे झुकाए थर-थर कांप रहा था। आँटी ने गुस्से में पैन्टी छीनते हुए कहा- मादरचोद, मेरी फ़ुद्दी को याद कर लौड़ा घोंट रहा था !

मैं लगभग रोते हुए बोला- मुझे माफ़ कर दो आंटी !

आंटी ने कहा- बाहर टीवी में ब्लू फिल्म तूने ही लगाई है न ? कैसेट कहाँ से मिली ?

मैं हकलाते हुए बोला- वो तो केबल पर !

और चुप हो गया।

आंटी ने ओ..ह्ह्ह... कहा और चुप हो गई। मेरा लौड़ा आंटी की बदन की गरमी को महसूस कर अब ऊपर-नीचे होने लगा था। मैं अभी तक नंगा था और आंटी अपने पैन्टी में लगे वीर्य की बूंदों को सूंघते हुए बोली- यह तूने मेरी पैन्टी को ख़राब किया है?

मैं इसे साफ़ कर देता हूँ आंटी !

और उनके हाथ से पैन्टी ले कर मैं उसे पानी में डुबा कर धोने लगा। आंटी मेरे हाथ पकड़ कर मुझे उसे धोने में मदद करते हुए बोली- जरा सी भी गन्दगी नहीं रहनी चाहिए !

और अपने बड़े बड़े दूधों को मेरे पीठ में रगड़ने लगी। मेरा लंड अभी भी नंगा था और पूरी तरह से तन कर तैयार हो गया था।

वो मुझसे बोली- लौड़े को हिलाने में बहुत मजा आता है क्या ?

मैं अ..ह.... ही कर पाया था। आंटी के झुके होने से उनके बड़े बाटलों की झलक साफ दिख रही थी। अब मैं भी नंगे होने के बावजूद उनके बाटलो को घूर रहा था। आंटी समझ गई और बोली- दूध को क्या घूर रहा है बे ?

मैं एक पल को सकपका गया और नजर नीचे कर ली।

तभी आंटी मेरे लौड़े को अन्डकोषों के नीचे से सहलाते हुए बोली- वाह... कितना मस्त है रे.. !

मेरा लंड जैसे सलामी मारता हुआ उनकी चूत के नीचे जा कर रूक गया। वो हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगी और बड़बड़ाने लगी- मादरचोद, इतना मस्त लौड़ा है और तू घोंट-घोंट कर गिरा रहा है !

अब मेरे से बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था, मैं आंटी से लिपट गया और "अ..ह... आंटी मस्त लग रहा है" मेरे हाथ बिजली की तेजी से उनके शरीर को मसल रहे थे।

दो मिनट बाद ही आंटी अपने को कंट्रोल करते हुए मुझे खींचते हुए अपने बेडरूम की ओर ले चली। बेडरूम अन्दर से बंद कर वो अपने कपड़े उतारने लगी। चंद पलों में ही वो पूरी नंगी मेरे सामने अपने दूध को मसल रही थी। मैं उनकी गाण्ड से लेकर जान्घों तक पप्पियों की बरसात करने लगा। उन्होंने मेरे मुँह को अपनी चूत के पास किया और गरजदार लहजे में कहा- चूस.. इसे .... !

मैं यंत्रचालित सा उनके चूत की ओर झुकता चला गया। पहली बार चूत की मादक खुशबू मुझे मदहोश कर दे रही थी। मैं कस कर उनकी चूत को चूसते हुए उनकी गाण्ड को सहलाने लगा और जाने कब मेरा हाथ उनकी गांड के बीच की घाटी में घुस गया।

वो सिसकने लगी और मुझ पर झुकती हुई मेरे गांड को सहलाने लगी। उनके हाथ लगाने से मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने एक उंगली उनकी गांड के छेद में घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगा।

वो सी.. अह..ह... जान और जोर से छोड़ पूरा हाथ घुसा दे जान.... मेरी जान.... कह अपनी एक उंगली मेरे गांड के छेद में घुसाने लगी। मुझे अनायास ही असीम आनंद की अनुभूति होने लगी। एक हाथ से आंटी गांड में उंगली कर रही थी और दूसरे हाथ से वो लौड़े को पकड़ कर जोर जोर से हिला रही थी .......

शेष अगले भाग में ! अभी मैं मुठ मार लेता हूँ आंटी की पहली चुदाई को याद कर ! अब रहा नहीं जा रहा है !

ak477560@gmail.com

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