Wednesday 12 September 2012

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मैं और मेरा एक मित्र एक साथ रहते थे। हम दोनों बहुत घनिष्ट मित्र थे। मेरे मित्र की एक गर्ल फ्रेंड थी। वो आए दिन अपनी और अपनी गर्लफ्रेंड के किस्से सुनाता रहता था। तब एक दिन हम तीन दोस्तों को साथ में ले के एक प्लान बनाया कि अब बहुत कहानियाँ सुन ली, हम तुम्हारी गर्लफ्रेंड की गांड मारेंगे।

दोस्त राजी हो गया।

दोस्त ने अपनी गर्लफ्रेंड को डेट के बहाने बुलवाया और हमने उसके लिए एक कमरा भी बुक कर रखा था। हमने दोस्त की गर्लफ्रेंड को कोल्ड ड्रिंक में बेहोशी की दवा मिला कर पिला दी। जिसे पीने के कुछ मिनट बाद वह बेहोश हो गई। बेहोश होने से पहले ही वह दोस्त से आधा काम करवा चुकी थी, यानि स्तन आदि दबवाना।

जैसे ही वो बेहोश हो गई, हम तीनों ने एक एक कर नम्बर लगा कर दोस्त की गर्लफ्रेंड को कंडोम लगा कर बारी बारी से पेलना शुरु कर दिया।

जैसे ही मेरा नम्बर लगा, मैं मारे खुशी के अपना तनतनाया लिंग हाथ में पकड़े आगे बढ़ा। आखिरकार मैंने लिंग के सुपाड़े को योनि में प्रवेश करा दिया। तो अचानक दोस्त की गर्लफ्रेंड होश में आ गई और सर पर हाथ रख खड़ी होने लगी, मैं डर से छुप गया।

गर्लफ्रेंड ने दोस्त से पूछा- मुझे क्या हुआ था?

दोस्त ने बताया- तुम बेहोश हो गई थी। मेरे ख्याल से तुम्हें कमजोरी हो गई है।

कमरे में हलकी रौशनी थी। दोस्त की गर्लफ्रेंड ने खिड़की खोल दी और अचम्भे में पड़ गई जब उसने देखा कि उसके शरीर पर कोई कपड़े का नामो-निशान भी नहीं है और बोल पड़ी- तुमने यह मेरी क्या हालत बना दी है?

जब उसने कमरे में नजर दौड़ाई तो हम तीनों भी नंगे खड़े थे। और यह सब वाकया होने के बाद हमारे लिंग जहां योनि को देख शान से तने हुए थे, अब शरम से झुके हुए थे।

दोस्त की गर्लफ्रेंड ने कहा," क्या हुआ? इतनी खामोशी क्यूँ ?"

आओ मेरी चूत मारो ! उसने दोस्त से कहा,"तुम मुझे पहले कहते तो तुम्हें इतना करने की जरुरत न पड़ती। मैं भी ग्रुप सेक्स की शौकीन हूँ!"

"आज मेरा सपना सच होने जा रहा है !" गर्लफ्रेंड ने कहा।

एक बार फिर से उतसाह बढ़ने पर सभी के लिंग फ़िर से तन के खड़े हो गए। अब हम सबने उस लड़की को लिटाया और दोस्त, जिसकी गर्लफ्रेंड थी, वो अपना लिंग पकड़े लड़की

के मुँह के पास मुख-मैथुन में तथा मैं उसकी योनि में अपना लिंग का सुपाड़ा डालने लगा। तीसरा दोस्त उसकी गांड मारने के लिए लड़की के नीचे दब गया। इस प्रकार हम एक एक कर शिफ़्ट बदल बदल कर काम में लगे रहे।

अचानक फ़ोन की घंटी बजने लगी। मैं उठ बैठा और हैरान हो गया क्या सपना था?

वास्तविकता से ज्यादा मजा तो सपने में था ..... !

margapagap@yahoo.in

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