Tuesday 11 September 2012

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मेरा नाम विजय है! मैं रायपुर शहर में रहता हूँ, 22 साल का इन्जिनियरिन्ग का छात्र हूँ। मैं जिस मकान में रहता हूँ वहां नीचे में मकान मालकिन रह्ती है। वो नौकरी करती है, उसका पति भी नौकरी करता है । उनका एक लड़का भी है वो स्कूल जाता है।

मैं मकान मालकिन को चाची कह कर बुलाता हूँ। वो बहुत गुस्से वाली है। चाची 37 साल की, बहुत मोटी है और हॉट औरत है। जरा जरा बात पर मकान मालिक से लड़ाई करती रहती है। पहले तो मैं कुछ समझ ही नहीं रहा था पर मैंने जब से अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ी, मेरे दिमाग में कुछ आया कि कहीं चाची और चाचा के बीच में कुछ गड़बड़ तो नहीं चल रहा है ! और मैंने अपना फ़ायदा उठाना चाहा।

मेरी चाची दिखने में काफ़ी सुंदर हैं और उनके स्तन काफ़ी बड़े हैं। वो घर में हमेशा सलवार सूट पहनती हैं। उनके बड़े बड़े स्तन उनके कमीज़ में नहीं समाते और हमेशा बाहर झाँकते रहते थे जिससे मेरी निगाहें उन पर जम जाती। हालाँकि मुझे यह सब ग़लत भी लगता था लेकिन क्या करूँ, कंट्रोल ही नहीं होता था। कभी कभी चाची भी मुझे अपने स्तनॉ में झाँकते हुए देख लेती थी लेकिन फिर भी वो उनको छुपाने की कोशिश नहीं करती थी, जिससे मुझे लगता कि शायद वो भी मुझे अपने स्तन दिखाना चाहती हैं लेकिन फिर मैं सोचता कि ये मेरा भ्रम ही होगा और मैं नज़रे घुमा लेता।

पर पता तो चले कि आखिर चाची उसके पति से सन्तुष्ट है या नहीं !

चून्कि उनका दरवाजा सीढ़ियों के पास में है मैंने रात को उनके घर में झांक कर देखने की कोशिश की।

अरे वाह ! वहाँ तो क्या सीन चल रहा था !

चाची तो नन्गी लेटी थी और चाचा उसकी चूत चाट रहा था। मैं डर गया और चुपचाप अपने कमरे में चला गया।

सुबह मैं लेट से जागा और रात का सीन मुझे खूब याद आ रहा था। उनका और मेरा बाथरुम एक ही है।

जब मैं नहाने के लिए बाथरूम में गया तो देखा कि वहां चाची की पैंटी और ब्रा लटक रही थी। शायद चाची उन्हें ले जाना भूल गई थी। यह पहली बार था कि मैं किसी औरत की पैंटी और ब्रा इतनी पास से देख रहा था। मेरा हाथ रोके नहीं रुका और मैं उनको अपने हाथ में ले के सूंघने लगा, उसकी मादक सुगंध से मैं मदहोश होने लगा। मैं पैंटी को अपने मुँह में ले के चूसने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं चाची की चूत चूस रहा हूँ। उसके बाद मैं ब्रा को भी मुँह में ले के खेलने लगा।

उस दिन पहली बार मेरा लंड इतना बड़ा लग रहा था। मेरे लंड का आकार इतना बड़ा आज तक नहीं हुआ था। उसके बाद मैंने अपने लंड से पैंटी और ब्रा को खूब चोदा, उसे लंड में लपेट के मैंने अपना मुठ उसी में गिरा दिया, फिर अच्छे से धो के चाची की ब्रा और पैंटी वहीं रख दी। उस दिन हिलाने में जितना मजा आया था उतना पहले कभी नहीं आया था।

अगले दिन जब चाची नहा के निकली, मैं नहाने के लिए जल्दी से बाथरूम की ओर दौड़ा ताकि कोई और ना चला जाए बाथरूम में। पर अन्दर जाते ही मुझे काफी निराशा हुई। इस बार चाची ने वहाँ अपने कोई कपड़े नहीं छोड़े थे। मैं उदास मन से नहा के बाहर आ गया। अपने कमरे में जा के भी मैं यही सोच रहा था कि आज कैसे मुठ मारी जाए। तब मैं हिम्मत करके छत पे गया। वहाँ चाची कपडे सुखा रही थी, हम दोनों खाने पीने के बारे में बातें करने लगे।

मैंने कहा- बहुत दिनो से मैंने चिकन नहीं खाया है, होटल का तो अच्छा ही नहीं लगता।

तो चाची बोली- मैं अगले शनिवार को बनाने वाली हूँ तो तू भी खा लेना !

मैंने कहा- ठीक है चाची।

मैं शनिवार को उनके घर पहुंचा, सब घर में थे! खाना खाया, अच्छा हँसे खेले, खूब मज़े किए। सब ९-१० बजे तक काम में चले गये और चाची घर में ही थी। शायद वो आज छुट्टी पर थी। उनका एक मेहमान भी आया था, २-३ घंटे बाद मैं बोर होने लगा, मैंने चाची जी को बोला- मैं चलता हूँ !

उन्होंने बोला- हैं ? तुम्हारे चाचा जी के आने तक इनके साथ में रहो !

मैने कहा- ठीक है, कुछ देर बाद वो मेहमान जाने लगा तो चाची ने कहा- विजय, जाओ, इनको स्टेशन तक छोड़ कर आना !

मैं बात मान गया। जब वापस आया तो चाची टी वी देख रही थी।

जैसे ही मैंने देखा उसमें होट सीन चल रहा है तो मैं शरमाया और मैं जा रहा हूँ कह कर जाने लगा।

चाची ने कहा- क्या हुआ चाय पी ले, फ़िर चला जाना।

फ़िल्म रोमेन्टिक था, जिसमें हीरो हिरोइन को बुरी तरह से चूम रहा था। मैं भी उसी फ़िल्म में खो गया था। थोड़ी देर बाद चाची अचानक चाय लेकर उसी कमरे में आ गई। मैं अपना पैन्ट को बाहर से पकड़ कर बैठा था, जिसके साथ मैं खेल रहा था।

चाची एकदम बोली- तुम यह क्या देख रहे हो?

मैंने बोला- ज़ी चाची, मैं शरमा गया!

चाची ने बोला- बेटा यह गलत बात है मैं नहीं जानती थी कि तुम इतने गन्दे हो।

फ़िर मैं वहाँ से चला आया! इसके बाद मैंने मुठ मारी तब जा के मैं शान्त हुआ!

रात को मैं डिनर करने के बाद जब सोने लगा तो भी मेरे को चैन नहीं आ रहा था। २ घंटे बाद चाचा और उनका लड़का सो गये। मेरा लौड़ा फिर से खड़ा था और बाथरूम उनके घर के दरवाजे पर ही था जो कि सीढ़ियों के पास था। जैसे ही मेरा लौड़ा खड़ा हुआ तो मैंने फिर उसके साथ खेलने की कोशिश की, बाहर निकाला उतने में फिर चाची मेरे कमरे में आई। मैंने अपना लौड़ा एकदम पैन्ट में वापिस अंदर डाल लिया।

सुबह जब सब फिर अपनी-२ ड्यूटी पे चले गये तो चाची ने मेरे को बोला- बेटा तुम शादी कर लो !

मैंने बोला- अभी नहीं।

वो बोली- तुम्हें चैन तो आता नहीं !

मैंने बोला- ऐसा कुछ नहीं !

मेरी चाची ने इतना बोलते ही मेरे लौड़े पे हाथ रख दिया।

मैं बोला- चाची यह आप क्या कर रही हो?

चाची बोली- तुम्हें शांत कर रही हूँ !

पर आप तो मेरी चाची हैं, मेरी माँ के समान !

बोली- चाची तेरी हूँ ! ना कि इसकी !

उसने बिना किसी डर के मेरी पैन्ट खोली, मेरा लौड़ा बाहर निकाला और चूसने लगी। मेरा लौड़ा भी एकदम फिर से टाइट हो गया। चाची ने ऐसे चूसा जैसे काफी समय से प्यासी थी।

मैंने भी चाची की कमीज़ खोली, नीचे उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी थी। जैसे ही मैंने ब्रा खोली, देख कर आँखे खुली ही रह गई, उसके मूमें ३८ साइज़ के थे, चूचुक भी ब्रा की तरह गुलाबी रंग के थे। मैंने भी चाची के मूमें ऐसे चूसे जैसे दूध पी रहा हूँ।

मेरे को चाची ने बताया- बेटे तेरे चाचा ज्यादा कर नहीं पाते हैं, उनका लौड़ा दुबारा खड़ा ही नहीं होता। मैं सालों से तरस गई हूँ, मेरी चूत सालों से आधी ही चुदी है। मेरे को आज ऐसे चोद कि मैं तुम्हीं से पूरा चुदवाऊँ !

मैंने बोला- चाची ! मैं तो तुम्हारे बेटे के समान हूँ !

वो बोली- बेटे ही मुसीबत में काम आते हैं।

वो रोने लगी। मैं भी तैयार हो गया। चाची ने मेरा लौड़ा चूसते चूसते यह सब मेरे को बताया। मैं चाची को बेड पे ले गया और चाची के कपड़े उतारे तो मेरे लंड ने सलामी दी चाची की चूत को।

चाची की चूत इतनी सेक्सी कि बता नहीं सकता। चूत की शेव करी हुई थी, जैसे के सब तैयारी पहले से ही कर के रखी हुई थी। उसने फिर से मेरा लौड़ा चूसना चालू किया, चाची के मूमें भी इतने बड़े थे कि मेरे हाथ में ठीक से आ नहीं रहे थे। अब मैंने उसकी भोसड़ी चूसनी चालू करी तो ऐसी चीखें मारी जैसे इक कुँवारी चुदने वाली है।

मेरा लौड़ा पूरे साइज़ में तैयार था ८.५" का !

बोली- बेटे तेरा लौड़ा तो बहुत ही बड़ा है !

मैंने जैसे चाची की चूत पर रखा, आधा तो आसानी से अंदर चला गया, बाद में रोने लगी, बोली- मेरी भोसड़ी तो अब दर्द कर रही है।

मैंने एकदम जोर लगाया तो चाची की चूत से थोड़ा-२ खून निकला। थोड़ी देर बाद चाची भी धक्के देने लगी, मजे से चुदने लगी। चाची कोई २ बार झड़ चुकी थी, मेरा भी निकलने वाला ही था। मैंने चाची के अंदर ही डाल दिया।

चाची बाद में बोली- तुमने तो आज मेरी भोसड़ी को अपने चाचाजी के लायक ही नहीं छोड़ा, इस भोसड़ी को भोसड़ा बना दिया। तुम्हारे इस लंबे लौड़े ने बुरी तरह से चोद दिया।

इसके बाद मैंने चाची की जमकर चुदाई की। मैंने सब तरीकों से चाची की भोसड़ी मारी। आज भी चाची लगातार चोदता रहता हूँ जब घर में कोई नहीं रह्ता तो वो फोन करके बुलाती है।

boy.raipur@rediffmail.com

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