Tuesday 4 September 2012

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नशीली चूत का रस

प्रेषक : रमेश कौशिक

बात उन दिनो की है जब मैं बारहवीं की बोर्ड की परीक्षा देकर फ़्री हुआ था और परिणाम आने में तीन महीने का समय था। यह वो समय होता है जब हर लड़का अपने बढ़े हुए लण्ड के प्रति आकार्षित रहता है, साथ-साथ बढ़ती हुई काली-काली घुंघराली झांटे उसका मन जल्दी से किसी नशीली चूत का रस पान करने को प्रेरित करती हैं। मैंने फ़्री टाइम को सही इस्तेमाल करने के लिये एक इंगलिश स्पीकिंग कोर्स ज्वाइन कर लिया। हमारे घर से थोड़ी दूर पर एक नया इंगलिश कोचिंग सेंटर खुला था जहां मैं अपना एडमीशन लेने पहुंच गया। मेरे लौड़े की किस्मत अच्छी थी वहाँ जाते ही मेरा सामना एक कमसिन, अल्हड़, मदमस्त, जवान, औरत से हुआ जो पता चला कि वहाँ की टीचर है। उसके गोरे-गोरे तन बदन को देखते ही मेरा तो लौड़ा चड्ढी में ही उचकने लगा। उसकी खुशबूदार सांसों ने मन में तूफ़ान पैदा कर डाला था। मन तो उसके तुरंत चोदने को कर रहा था पर क्या करता वहाँ तो पढ़ने गया था।

एडमीशन देते हुए वो भी मुझे आंखों ही आंखों में तौल रही थी। वो 27 साल की भरे बदन वाली मैडम थी। शादी-शुदा, उसकी दोनों चूचियां आधा-2 किलो की थी और उसके गद्देदार मोटे चूतड़ (गांड) उभार लिये संगमरमर की मूरत से तराशे हुए हिलते ऐसे लगते थे जैसे कह रहे हों- आजा राजा इस गांड को बजा जा !

मैंने एडमीशन लेकर पूछा- कितने बजे आना है मैडम?

वो मुस्करा कर बोली- सुबह सात बजे आना।

"साथ क्या लाना है?"

"वो बोली एक कोपी बस।"

मैं घर वापस आ गया पर सारी रात सुबह होने के इंतज़ार में सो न सका। रात भर मैडम की हसीन मुस्कान और चेहरा सामने था। मैं बार-बार उनके ब्लाउज़ में कैद उन दो कबूतरों का ध्यान कर रहा था जो बाहर आने को बेताब थे। उनकी चूत कैसी होगी? गुलाबी चूत पे काला सिंघाड़ा होगा, उनकी चूत का लहसुन मोटा होगा या पतला, मुलायम मीठा या नमकीन, कितना नशा होगा उनके चूत के रस में? उनकी बुर की फांके गुलाब की पत्तियों सी फैला दूं तो क्या हो? यह कल्पना और मदहोश कर रही थी जिससे मेरे लण्ड फूल कर लम्बा और मोटा हो गया था और मेरी चड्ढी में उसने गीला पानी छोड़ दिया।

अगले दिन सुबह, जल्दी से नहा कर मैं इंगलिश की कोचिंग में समय से पहुंच गया। उस क्लास में और भी कुछ हसीन लड़कियां थीं। कुछ खूबसूरत शादी-शुदा औरतें भी थी जो हाई क्लास सोसाइटी में अपनी धाक जमाने के लिये इंगलिश सीखना चाह रही थीं ताकि हाई क्लास की रंगीनियों का मज़ा उठाया जा सके। मैं पीछे की सीट पर बैठ गया। थोड़ी देर में मैडम वहाँ आई और गुड मोर्निंग के साथ मुझ पर नज़र पड़ते ही बोली- तुम आगे आकर बैठो।

उनके कहने पर मैं आगे की सीट पर बैठ गया। वो सबको अपना परिचय हुए बोली- हाय मैं निशा हूँ। अब आप लोग अपना परिचय दीजिये। हम सबने अपना-अपना परिचय दिया। फिर वो ब्लैक बोर्ड की तरफ़ मुड़कर लिखने लगी। जैसे ही वो मुड़ी, उनकी गांड मेरे सामने थी और मन फिर उनकी गांड मारने के ख्याल में खो गया। क्या करुं जवानी 18 साल की कहां शांत रहती।

वो बहुत सुंदर हल्के रंग की साड़ी पहने थी। गुलाबी ब्लाउज़ के नीचे उनकी काली ब्रा साफ़ दिख रही थी। साड़ी के पल्लू से उनकी चूची का बोर्डर ज़बान पर पानी ला रहा था, लालच मन में जगा रहा था। दोनों चूचियों के बीच की गहरी लाइन ब्रा के ऊपर से लण्ड को मस्ती दिला रही थी। वो मुड़ कर वापस क्लास को बोलने लगी ग्रामर के बारे में और मेरे एकदम पास चली आई। मैं बैठा था और वो मेरे इतने करीब खड़ी थी कि उनका खुला पेट वाला हिस्सा मेरे मुँह के पास आ चुका था जिसमें से उनकी गोल-गोल गहरी नाभि की महक मेरे नथुनों में मीठा ज़हर घोल रही थी। फिर उनका पेन हाथ से गिरकर मेरे सामने टपक गया जिसे लेने वो नीचे झुकी तो दोनों चूचियाँ मेरे मुँह के सामने परस गये। उस दिन क्लास ऐसे ही चलता रहा। फिर जब क्लास खत्म हुआ तो जब सब चलने लगे तो मैडम ने मुझे रुकने को कहा। मैं अपनी कुरसी पर बैठा रहा।

सबके चले जाने के बाद मैडम मेरे पास आई और बोली- हेंडसम लग रहे हो !

मैंने कहा- थैंक यू !

"तुम अभी क्या करते हो?"

मैं बोला- अभी बारहवीं की परीक्षा दी है, अब मैं फ़्री हूँ।

मैडम बोली- मतलब अब तुम बालिग हो गये हो।

यस मैडम, मैं बोला।

हूऊऊऊउम...... वो कुछ सोच कर बोली- तुम्हारा केला तो काफ़ी काफ़ी बड़ा है !

केला??? मैं समझ तो गया था कि मैडम मेरे लण्ड की तरफ़ इशारा कर रही हैं पर मैं अंजान बना रहा।

मैंने पूछा- किस केले की बात कर रही हैं आप?

अरे ! अब इतने अंजान मत बनो मेरे राजा, तुम्हारा लौड़ा जो काफ़ी बड़ा है और जो इस पैंट के नीचे से फूल कर बाहर हवा खाने को बेताब है। शायद इसने अभी तक गुझिया (चूत) का स्वाद नहीं चखा। असल में मैं क्लास जल्दी पहुंचने के चक्कर में नहा कर पैंट के नीचे अंडरवीयर पहनना भूल गया था जिससे मोटा लौड़ा तन कर पैंट में अपनी छाप दिखा रहा था।

मैडम को फ़्री और फ़्रेंक होता देख कर मैंने भी कह दिया- हां मैडम, अभी तक किसी की चूत का स्वाद नहीं चखा है।

वो बोली- शनिवार की सुबह छः बजे मेरे घर आ सकते हो? मैं अकेली रहती हूँ। दरअसल मेरे पति नेवी में हैं और हमारे कोई औलाद नहीं हैं। तुम आ जाओगे तो मुझे कम्पनी हो जायेगी।

मैंने फ़ौरन हामी भर दी। मैं जानता तो था कि मैडम को मेरी कम्पनी क्यों चाहिये थी। उनको अपनी बुर की खुजली मिटानी थी और फिर जब पति नेवी में गांड मराये तो पत्नी दिन भर जब टीचिंग से लौट कर आये तो चूत चोदने को कोई लौड़ा तो चाहिये ही। इसमें कुछ गलत नहीं हैं। हर औरत की, हर लौंडिया की चूत में गरमी चढ़ती है और उसकी चूत की आग सिर्फ़ और सिर्फ़ लण्ड ही शांत कर सकता है।

सारी रात मैडम का ध्यान कर मैं सो न सका। सुबह घड़ी में अलार्म लगा दिया 5 बजे का। मम्मी भी सुबह अलार्म की आवाज़ से उठ गई और बोली- इतने सुबह कहां जा रहे हो??

मैंने कहा- सुबह रोज़ अब मैं जल्दी उठ कर जोगिंग करने जाउंगा और फिर वहीं से क्लास अटेंड कर वापस आउंगा।

अब उनसे क्या कहता कि मैडम की चूत की खुजली शांत करने जा रहा हूं। सुबह चाय पीकर मैं तुरंत टैक्सी कर मैडम के पते पर कोपी लिये पहुंच गया। डोरबेल बजाई तो थोड़ी देर बाद मैडम काली नाइटी पहने मुस्करा कर दरवाजा खोलती नज़र आई। उनके नाइटी के दो बटन ऊपर के खुले थे और ब्रा नहीं पहने होने के कारण दोनो चूचियां मुझे साफ़ दिख रही थीं। नीचे पेटीकोट भी नहीं था क्योंकि उन्होंने मेरा हाथ कमर पे रख मुझे अंदर बुलाया जिससे उनका बदन मेरे हाथ में आ गया था।

सामने खुला हुआ सीना मेरे दिल की धड़कन बढ़ा रहा था। वो मुसकरा कर बोली- अब ऐसे ही खड़े-खड़े मेरी सूरत देखते रहोगे या मुझे अपनी बाहों में उठा कर बिस्तर पे भी ले चलोगे। मेरी जवानी कब से मोटे लण्ड की आग में जल रही है, मेरी जवानी के मज़े नहीं लूटोगे???

मैंने तुरंत कोपी पास पड़ी मेज़ पर फेंक दी और मैडम को झट से अपनी बाहों में उठा लिया। उनके खुले बाल मेरे हाथ पर थे और उन्होने मेरे होंठों को अपने लबों में कैद कर लिया। उनका बेडरूम सामने ही था। मौसम थोड़ा गरम था इसलिये मैं उनको पहले बाथरूम में ले आया जहां उनको थोड़ा नहला कर मालिश कर गरम कर सकूं।

मैंने मैडम को बाथरूम में खड़ा कर दिया और फिर उनकी काली नाइटी के ऊपर से पूरा मांसल बदन दबाया फिर सहलाया। उनके हाथ ऊपर कर उनकी काली नाइटी धीरे से उतार दी। अब वो पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी थी। दूधिया बदन गोरी-गोरी-मोटी चूचियां और हल्के काले घुंघराले बालों के बीच गुलाबी मुलायम चूत। मैंने शोवर चालू कर दिया। पानी ऊपर से नीचे हर अंग को भिगो रहा था। मैंने उनको चूमना चाटना शुरु कर दिया। होंठों से होंठ फिर गाल सब पर ज़बान फेर कर मज़ा देता गया। दोनों चूचियां बार बार दबा कर निप्पलों को मुँह में भर लिया। उनके गुलाबी चुचूक मोटे और बहुत नर्म थे। ज़बान निकाल कर गोल-गोल निप्पल पर घुमा कर चाट कर पिया। वो आअह्हह्हह...।।उह्हह्हह...ईईस्सस्सस...मज़ा आ गया बोली- और पियो ! ये निप्पल कब से तरस रहे थे कि कोई इनको पिये।

मैंने कस कर चूची मर्दन किया, दबा दबा कर निप्पलों को उकेर कर दोनों निप्पलों पर जबान से खूब खुजली की। मैडम भी अपनी ज़बान निकाल कर मेरे ज़बान के साथ अपने निप्पलों चाट रहीं थी। उनकी चूचियां फूल कर बड़ी हो गई थी और मैं नीचे उनके नाभि पर आ गया था। गोल नाभि की गहराई नापने में 2 मिनट लगे। इससे पहले चूचियों का मसाज और निप्पलों को चूस कर दस मिनट तक उनको प्यार के नशे में डुबाता चला गया। इस क्रिया से मेरा लौड़ा भी नागराज की तरह फुंफ़कारता हुआ खड़ा हो कर सात इंच का हो चुका था जिस पर मैडम का हाथ पहुंच गया था। मैंने धीरे से मैडम को बाथरूम के फ़र्श पर लिटाया ताकि उनकी चूत खुल कर मेरे सामने आ सके और मैं उनकी गुलाबी गुझिया में उंगली डाल सकूँ।

मैं उनकी चूत का रस पीने के इरादे से नीचे गया। उनकी झांटों पर पड़ी पानी की बूंदों ने मुझे उनके झांटों पर चांदी की तरह चमकती बूंदों को पीने की चाह जगा दी। मैं उनकी काली, मुलायम घुंघराली झांटों को अपने होंठों में कैद कर अपने होंटों से पीने लगा। उनकी जब झांटें खिंचती तो वो अह्हह्हह्ह्हह्ह...... ऊऊऊह्ह्हह ...ह्हहाइ....... ज्जज्जजाआअन्न्नन्न.. स्सस्स्सस्स... करती जिससे मेरा लण्ड और कड़क हो जाता।

उनकी झांटों से पानी साफ़ करने के बाद मैंने दोनों उंगलियों से उनकी चूत की गहराई को नापा। मतलब दोनों उंगलियां अंदर गुलाबी छेद में डाल दी गहराई तक। फिर ज़बान पास लाकर उनके चूत का सिंघाड़ा अपने मुँह में कैद कर लिया।

करीब दस मिनट तक उनकी नशीली चूत का रस अपनी ज़बान से पीता रहा और उनकी गरम चूत में अपनी ज़बान चलाता रहा। ऊपर से नीचे, फिर नीचे से ऊपर और फिर ज़बान को कड़ा कर अंदर बाहर भी। ज़बान से चूत रस चाटते वक्त मैंने एक उंगली नीचे खूबसूरत से दिख रहे गांड के छेद पर लगा दी। उनको तैयार कर मैंने अपना अंडरवीयर उतारा जिससे मैडम बाथरूम के फ़र्श पर उठ कर मेरे ऊपर मेरी तरफ़ गांड कर 69 की पोजीशन में लेट गई और मेरा लण्ड अपने मुँह में डाल लिया।

मैं मैडम की चूत में नीचे से पीछे से ज़बान डाल कर उनका रस चाटे जा रहा था और मैडम को मेरा गुलाबी सुपाड़ा बहुत मज़ा दे रहा था। वो बच्चो की तरह उसे चूसे जा रहीं थी। क्योंकि उनको लण्ड बहुत दिनों बाद नसीब हुआ था। मेरा तना लण्ड उनको बहुत मज़ा दे रहा था। वो 5 मिनट तक मेरा लौड़ा अपने होंठों में कैद कर चूसती रही। ज़बान से लण्ड के सुपाड़े को चाट-चाट कर लाल कर दिया था और लण्ड तन कर रॉड की तरह पूरा कड़ा हो गया था पर मैडम छोड़ ही नहीं रहीं थी।

मैंने बोला- मैडम, मैं झड़ने वाला हूं !

तो उन्होंने मुझे खड़ा कर दिया और खुद भी मेरे ऊपर से हट गई, बोली- आओ राजा, मेरी ज़बान पर गिरा दो।

वो मेरे लण्ड के पास मुँह खोल कर ज़बान निकाल कर बैठ गईं। मैंने अपने हाथ से हिला कर जल्दी से अपना सारा गरम गरम शहद उनकी ज़बान पे गिराया जिसे उन्होंने अपनी आंखें बंद कर जन्नत का मज़ा लिया। वो मेरे गरम वीर्य की आखिरी बूंद तक चाट गई। फिर उन्होंने अपना मुँह धोया और मुझे बोली- अब मुझको बेडरूम में ले चलो राजा।

मैं भी उनकी चूत चोदने को बेताब था।

मैंने उनको उठा लिया और बेड पर चित्त लिटा दिया। उनकी दोनों गोरी टांगों को खूब फैला दिया ताकि उनकी गुलाबी चूत मेरे सामने खुल जाये और मुझे उनकी चूत को चाटने में ज़रा भी कठिनाई न हो। वो फिर से मेरे लण्ड को अपने हाथ से पकड़ कर आगे पीछे हिलाने लगी। उनके ये करने से मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। मैंने उनकी नशीली चूत को चाट कर अपने थूक से चिकना किया। वैसे उनकी चूत बहुत मक्खन सी मुलायम और मलमल सी चिकनी थी। वो गरम-गरम मलाई से भरपूर चूत मुझे अब जन्नत सी लग रही थी जिसको अब चोदना बहुत ज़रूरी हो गया था। मेरे लप-लप कर उनकी चूत को चाटने से वो अपने मुँह से सी...सी...ऊऊऊओ...अह्ह्हह्ह कर रही थी, बोली- मेरे राजा, जल्दी से अपना सात इंच का शेर मेरी प्यार की गुफ़ा में घुसा दो, जल्दी से इस चूत की खुजली शांत करो। बहुत तड़प रही हूं।

मैंने जल्दी से उनकी गोरी मांसल जांघों को दूर दूर किया और लौड़ा पकड़ कर अपना सुपाड़ा चूत के मुँह पे टिका कर सहलाया। फिर एक धीरे से ज़ोर लगाया जिससे लण्ड खच की आवाज़ से अंदर गरम गरम चूत में अंदर तक समा गया। वो आंखें बंद कर मस्त होने लगी।

मैं बोला- निशा तुम बहुत मस्त हो।

वो मुस्कुरा दी। मैंने अपने लण्ड की गति बढ़ा दी। लण्ड जल्दी जल्दी अंदर-बाहर चलने लगा। लण्ड पूरे ज़ोर से अंदर बाहर आ जा रहा था जिससे निशा की चूचियां भी हिल रही थीं। दोनों बूब्स को मैंने हाथ में भर कर मसलना शुरु कर दिया था और उनके निप्पल भी अपने होंठों में चूसने लगा। निशा की जवानी लूट कर दस मिनट तक गरम लण्ड रॉड सा उसकी बुर को फाड़ता रहा। फिर मैंने उसकी चूत से लण्ड बाहर निकाला और अपना गरम वीर्य उसकी चूत के ऊपर और नाभि में डाल दिया।

अब वो शांत हो चुकी थी और मेरी पहले प्यार की क्लास एक घंटे में खत्म हुई। सेक्स की इस क्लास में मुझ को पूरा मज़ा मिला।

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