Tuesday 21 August 2012

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दिसम्बर 2010 की बात है, सर्दी आ चुकी है, पंजाब में हमेशा की तरह घनी सर्दी पड़ रही है, शाम को ही कोहरा गिरने लगता है, सुबह सुबह भी घना कोहरा पड़ता है, काफी धुंध भी छाई रहती है, पारा गिर चुका है, इस मौसम में मेरी गांड और ज्यादा चुदक्कड़ हो गई है, सर्दी में चुदाई का अलग मजा होता है, तभी तो जब किसी की सर्दी में शादी होने होती है लोग कह देतें हैं ले तेरी सर्दी का इलाज़ हो गया। वैसे मुझे भी सेक्स चढ़ने लगता है, दिल करता है रजाई में मर्दों के लौड़े पकड़ सहलाऊँ, उनके जिस्म की गर्मी लूँ !
सर्दी में घूम कर मर्द पटाना मुश्किल लगता है, निकलना पड़ता है, लेकिन जब तलब लगी हो तो निकलना पड़ता है।
खैर मैं अब पुराना खिलाड़ी हूँ मुझे आराम से मिल जाते हैं, जानता हूँ कहाँ से कब और कैसे लौड़ा तलाशना है।
दो दिन पहले की बात है, मैं घर पर अकेला था, सभी घर वाले दो दिन के लिए दिल्ली गए हुए थे, रात भर में चैट की, इन्टरनेट पर बैठा रहा, फ़ोन सेक्स का मजा भी लिया, लौड़ों को अपनी चिकनी गांड नंगी करके दिखाई, उनकी सब मांगें पूरी की, लड़की के कपड़े पहन कर उनके लौड़ों का पानी निकाला। करीब दो बजे मैं कंप्यूटर बंद कर सो गया। सुबह आठ बजे नींद खुली, काफी ठण्ड थी लेकिन मैं रजाई में था। मैं उठा, कपड़े-वपड़े ठीक से पहने, रसोई में चला गया, सोचा- किसी की बीवी बनती, रात को चुदवाती, सुबह चाय पिलाती !
मैंने खुद के लिए चाय बनाई छलनी से छान कप में डाली। तभी दूध वाले ने आवाज़ लगाई, बाहर जाकर दूध लिया, अखबार उठाया, आकर पढ़ने लगा।
कोहरा पड़ा हुआ था फिर भी लोग अपनी चीजें बेचने निकल पडतें हैं। क्या करें, उनकी रोज़ी रोटी होती है। कभी सब्जी वाला आवाजें लगाता, कभी रद्दी वाला, ऐसे ही चलता रहता।
थोड़ा बैठने के बाद मुझे रात को नेट पर चैट के दौरान की बातें याद आई तो गांड में खुजली होने लगी, रजाई के अंदर ही मैंने हाथों से चूतड़ दबाये, छेद को ऊँगली से छेड़ा, थोड़ी ऊँगली सरकाई मेरा मन चुदाई करवाने का था लेकिन कैसे ?
सोचा- चलो फिर इन्टरनेट पर लड़कों से गर्म बातें करके मजा लेता हूँ।
फिर अन्तर्वासना ऑन कर कहानी पढ़ने लगा तभी बाहर से गली में से आवाज़ सुनी- गैस चूल्हे ठीक करवा लो ! चूल्हों की सफाई करवा लो !
मेरे गंदे दिमाग में एक बात आई, सोचा- उठकर देखता हूँ बंदा है कैसा !
जैकट पहनी और गेट पर गया, काफी कोहरा था, देखा काले रंग का बंदा था, उसमें मुझे कोई एतराज़ नहीं होता, मुझे लौड़ा चाहिए होता है।
मैंने भी उसको कहा- हाँ, मेरा चूल्हा साफ़ कर दे, आग कम छोड़ रहा है।
उसने ठीक से देखा- चिकना सा लौंडा ! हां हां ! कर देता हूँ !
क्यू नहीं, आ जाओ !
उसने अपनी साइकिल पोर्च में लगाई, मैं उसको अंदर ले गया।
मैंने दरवाज़ा लॉक कर दिया।
बोला- किधर है?
मैंने कहा- बताता हूँ ! आओ ना बैठो, बहुत सर्दी है, तुझे चाय पिलाता हूँ।
वो हैरान था, बोला- नहीं कोई बात नहीं ! दिखाओ चूल्हा !
चलो आओ पर कुछ देर बैठो, जरा हाथ सेक लो हीटर के सामने ! आ जाओ थोड़ा रजाई में बैठो !
वो कुछ कुछ समझ रहा था- इतने दयालु हो रहे हो? कहीं कुछ काम तो नहीं निकलवाना चाहते बहाने से ?
तुम समझदार हो तो आओ ना !
उसने अपने जूते उतारे, मेरी बग़ल में घुस कर बैठ गया।
मैं मौका गँवाए बिना उसके लौड़े को पकड़ सहलाने लगा। पैंट के अंदर ही वो खड़ा हो गया।
वो बोला- यह सब तो ठीक ! कहीं कोई आएगा तो नहीं? हम गरीब आदमी इसी से खाते हैं।
अभी कोई न आयेगा, कह मैं रजाई में घुस गया, उसकी पैंट खोली, जिप खोली, पैंट खिसका घुटनों तक कर दी।
उसके लौड़े को अंडरवीयर से निकाला और प्यार से सहलाया फिर उसकी चुम्मी ली।
वो आहें भरने लगा।
मैंने मुँह में अन्दर कर लिया।
उसने रजाई उठा दी मेरे सर को पकड़ लौड़ा मुँह के अंदर-बाहर करने लगा।
उसका काला लौड़ा मुझे बहुत पसंद आया।
बोला- तुझे यह शौक कैसे पड़ गया?
बस पड़ गया ! तू मजे ले !
हाय, कितना मजा आ रहा है !
कभी चुसवाया है किसी से?
नहीं यार !
मैंने कहा- चल उठ और भाग जा रसोई में गैस ठीक कर !
वो हैरान हुआ, थोड़ा सा परेशान भी हुआ।
वो उठा, मैंने उसकी पैंट और अंडरवीयर वहीं रख दिया- चल !
उसका लौड़ा लटक रहा था, वो शेल्फ के पास खड़ा होकर चूल्हे से पाईप उतारने लगा।
मैं कुतिया की तरह घुटनों के बल चलता हुआ उसके करीब पहुँचा, उसका लटकता हुआ लौड़ा मुझे पागल कर रहा था। वो अपने ध्यान लगा था। मैंने भैंस के बच्चे की तरह उसका लौड़ा पकड़ मुँह में ले लिया।
वो नीचे देख हैरान हुआ।
मैंने जम कर उसका लौड़ा चूसा और फिर उसने मुझे पकड़ा, गांड पूरी नंगी की, मुझे शेल्फ पर बिठाया अपना लौड़ा रगड़ने लगा। वहाँ घुसा नहीं तो मुझे बिस्तर में ले जा कर उसने मेरी टांगें उठवा ली और मेरा दिया कंडोम पहन कर चढ़ गया मुझ पर !
रजाई में लड़ाई शुरु हुई, उसका मोटा लंबा काला लौड़ा मेरी गोरी गांड मार रहा था !
फिर उसने मुझे कुतिया बना कर चोदा।
उससे चुद कर मुझे मजा आ गया। जब वो शांत हुआ तब मेरी तसल्ली हो गई थी, दोनों कुछ देर नंगे लेटे रहे, मेरा हाथ फिर उसके लौड़े पर था मैंने मुँह में लिया तो वो तैयार हो गया।
इस बार उसने मेरे हाथ खड़े करवा कर दम लिया, एक घंटा उसका माल नहीं निकला, कभी ऊपर पटकता, कभी नीचे ! और कभी घोड़ी !
क्या-क्या नहीं हुआ !
लेकिन सच बताऊं तो मेरी अब तक की चुदाई में से सबसे मस्त चुदाई थी दोस्तो !
अगली मजेदार चुदाई जब कोई करेगा मेरी, तो सबसे पहले आपको बताने आऊँगा !
तब तक के लिए नमस्ते 

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